मेरा काल्पनिक घर
पेड़ पौधों की हरियाली में
गंगा नदी के किनारे में
हो मेरा एक छोटा सा घर
सूरज के उजियारो में
फूलो से घिरे गलियों में
हो मेरा एक छोटा सा घर
पंक्षी के कलख के बीच
हवा मे झूमती लताओ के बीच
हो मेरा एक छोटा सा घर
आशांति फैली वातावरण से दूर
प्रदूषण फैली स्थानो से दूर
हो मेरा एक छोटा सा घर
पहाडो़ से घिरे एक वन में
सुंदर फूलो वाले उपवन में
हो मेरा एक छोटा सा घर
बस यही है मेरा कल्पनिक घर
जो कभी नही होगा साकार
ऐसे स्थल अब कहा मिलेंगे
जहाँ मिले ये सारे गुण
प्रकृति के सारे वरदान
नष्ट कर दिए सब इंसान
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